28.10.10

वे वीडियो व आवाज को काट-छाँटकर प्रसारित करते हैं


परम पूज्य सदगुरुदेव संत श्री आसारामजी बापू के श्रीचरणों में सादर प्रणाम !
आज भारतीय मीडिया जिस दिशा में जा रहा है वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। अपने ही संत-संस्कृति का मखौल उड़ाकर पूरे विश्व में भारत की छवि को बिगाड़ने का प्रयास कुछ चैनल कर रहे हैं। मैं तो खुद एक टी.वी. पत्रकार हूँ इसलिए बेहतर तरीके से जानता हूँ कि मीडिया में कुछ ऐसे तत्त्व घुस आये हैं, जिन्होंने भारतीय संत-समाज को बदनाम करने का ठेका दुराचारियों से ले लिया है।
पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का डंका बजाने वाले और अध्यात्म-ज्ञान, आत्मज्ञान का खजाना बाँटने वाले, स्वस्थ, सुखी, सम्मानित जीवनि की राह दिखाने वाले लोकलाडले संत श्री आसारामजी महाराज को सनसनी खबर बनाकर बदनाम करने का सोचा समझा षडयंत्र है। केवल बापू जी ही नहीं, श्री श्री रविशंकरजी महाराज, कांची कामकोटि पीठ के श्रद्धेय शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी, श्री सत्य साँई बाबा और योग गुरु स्वामी रामदेव को भी बदनाम करने का कुचक्र कुछ मीडिया संस्थानों ने किया है।
दिन रात दौड़ धूप कर समाज को जागृत करने में तत्पर बापू जी के लोक-कल्याणकारी कार्य दिखाने में इन चैनलों को शर्म आती है, परंतु अभिनेता अभिनेत्रियों के लज्जाहीन बाईट इंटरव्यू और फुटेज दिखाने में ये गर्व महसूस करते हैं। मैं जानता हूँ कि किस तरीके से बापू जी के सत्संग के वास्तविक वीडियो और आवाज को काट-छाँटकर प्रसारित किया जाता है। टी.आर.पी. (टेलिविज़न रेटिंग प्वाइंट) बढ़ाने के चक्कर में इन अधर्मियों को यह भी नहीं पता कि ऐसा करके वे भारत की अस्मिता पर प्रहार कर रहे हैं। अरे ये सहनशील हिन्दू संतों के पीछे क्यों पड़े हैं ? और... कट्टरपंथी धर्मों के आचार्यों के खिलाफ एक शब्द भी छापने व दिखाने की हिम्मत इनमें क्यों नहीं है ? क्योंकि उनके बारे में कुछ दिखाया तो वे आग लगा देंगे, काटकर रख देंगे, लेकिन ये हिन्दू संत अपमान सह लेते हैं और इन अधर्मियों का फिर भी बुरा न चाहकर लोककल्याम में लगे हैं।
मैं तो इन चैनलों के मालिकों के साथ ही भारत सरकार से अपील करता हूँ कि वह जाँच कराये कि कहीं भारतीय संस्कृति का उपहास उड़ाने वाले इन चैनलों में आतंकवादी व आई.एस.आई. एजेन्ट तो नहीं घुस गये हैं, जो मीडियारूपी मजबूत हथियार का इस्तेमाल कर भारत को नष्ट-भ्रष्ट करने पर उतारू हैं। इन चैनलों के बड़े पदों पर भी संदिग्ध लोगों का आधिपत्य बढ़ता जा रहा है।
मीडिया में कुछ अच्छे लोग भी हैं जो संस्कृति के रक्षण् में लगे हैं लेकिन कई बार जब रिपोर्टर खबर भेजता है तो वह या तो रोक ली जाती है या फिर ये विधर्मी चैनल उन खबरों को निगेटिव बनाकर प्रसारित करते हैं। पत्रकार न चाहकर भी कई बार अपने आलाओं के लिए नकारात्मक खबरें बनाने को बाध्य हो जाता है।
मैं मीडिया समुदाय से आग्रह करना चाहूँगा कि भारतीय संस्कृति का रक्षक बने, न कि भक्षक !भारत के अध्यात्म-ज्ञान की आज भारत को ही नहीं पूरे विश्व को जरूरत है, इसलिए बापू जी जैसे महान संतों के वचनों को जन-जन तक पहुँचाकर अपना व विश्व का कल्याण करें।
पूज्य बापू जी के श्रीचरणों में पुनः नमन।
धर्मेन्द्र साहू
टी.वी. पत्रकार, संवाददाता,
सहारा समय न्यूज चैनल।
कबीरा निंदक न मिलो पापी मिलो हजार।
एक निंदक के माथे पर लाख पापिन को भार।।
संतों की निंदा करके समाज की श्रद्धा तोड़ने वाले लोग कबीर जी के इस वचन से सीख लेकर सँभल जायें तो कितना अच्छा है !
जो अपराध छुड़ायें, रोग मिटायें, राष्ट्रप्रेम में दृढ़ बनायें, सबमें समता-सदभाव बढ़ायें, ऐसे संत पर से श्रद्धा तोड़ना, इसे राष्ट्रद्रोह कहें कि विश्वमानव-द्रोह कहें ? धिक्कार है ऐसे द्वेषपूर्ण रवैयेवालों को !
आर.सी.मिश्र
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2010, पृष्ठ संख्या 7,8 अंक 214
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