31.7.11

स्वास्थ्य के कुछ सरल प्रयोग




पाचन शक्ति बढ़ाने के लिएः रबड़ का काला, दानेदार पायदान आता है, जिसमें बड़े-बड़े गोल छेद होते हैं और दूसरी तरफ छोटे-छोटे दाने होते हैं। उस पायदान पर पहले सुराख की तरफ 5 मिनट खड़े रहें, फिर दूसरी तरफ दानेदार भाग पर खड़े रहकर पैरों का एक्यूप्रेशर करने से पेट, पाचनतंत्र व बुढ़ापे की अन्य कमजोरियाँ दूर होती है। पाचनशक्ति ठीक होने से बहुत सारी बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। जो तेल-मालिश करते हैं वे मालिश के बाद यह प्रयोग करें।
पाचनतंत्र के लिए वरदानः जठराग्नि प्रदीप्त करने के लिए पाचक रस ज्यादा चाहिए, जिससे जठराग्नि आम (कच्चा रस) को पचा लेती है। यदि शरीर में से आम निकालना हो तो एक मीठे सेवफल में जितने लगा सको उतने लौंग अंदर भौंक दो, फिर उसे 7 से 11 दिन तक छाया में पड़ा रहने दो। सेव सड़ जायेगा और लौंग मुलायम हो जायेंगी। वह लौंग बन गयी पाचनतंत्र को तेज करने वाली औषधि, टॉनिक। यह पाचनतंत्र के लिए एकदम वरदान है।
मात्राः रोज 1-2 लौंग भोजन के 2-4 घंटे बाद चूसें।
एलर्जीनाशकः 60 ग्राम चिरायता को 1 लिटर पानी में उबालें। जब एक चौथाई पानी शेष बचे तब इसे छानकर रख लें। सुबह-शाम 200-250 मि.ली. 7 दिनों तक सेवन करने से अंग्रेजी दवाओं से शरीर पर हुए दुष्प्रभाव दूर होते हैं।
बुद्धिवर्धकः 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम शंखावली तथा 100 ग्राम मिश्री तींनों को बारीक पीस कर रख लें। रोज 3 से 5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ सेवन करने से बुद्धि व स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है।
मधुमेहः आधा किलो करेले काटकर तसले में रखें और पैरों तले एक घंटा कुचलें, जब तक कि मुँह कड़वा न हो जाये। 7 से 10 दिन में लाभ होंगे।
बेलपत्र की 11 पत्तियाँ (एक में तीन अर्थात् 33 पत्तियाँ) डंठलसहित 50 ग्राम पानी में 3-4 काली मिर्च के साथ पीस लें, फिर इसे छानकर सुबह खाली पेट पियें। मधुमेह में यह प्रयोग 40 दिन तक करने से रक्त में शर्करा नियंत्रित हो जाती है, इंसुलिन के इंजेक्शन नहीं लेने पड़ते।
मूत्रावरोधः केले के तने का 50 ग्राम रस 25 ग्राम घी में मिलाकर पिलायें। यह बंद पेशाब खोलने का उत्तम उपचार है। इसके रस में मिला हुआ घी पेट में ठहर नहीं सकता, अतः मूत्र शीघ्र आ जाता है।
मोचः अलसी का तेल गर्म करके लगायें।
गिलोय रसायनः
लाभः यह जरावस्था को दूर करने वाला, बुद्धिदायक, त्रिदोषनाशक उत्कृष्ट रसायन है। इसके निरंतर सेवन से आयु की वृद्धि होती है तथा व्याधियाँ उत्पन्न नहीं होतीं। बालों का सफेद होना, ज्वर, विषम ज्वर व प्रमेह दूर होता है।
विधिः 100 ग्राम गिलोय का कपड़छन चूर्ण, 16-16 ग्राम पुराना देशी गुड़ व शहद, 20 ग्राम गाय का घी – इन सबको मिलाकर रख लें। यह 'अमृत-रस' है। 6 ग्राम प्रतिदिन गौदुग्ध के साथ सेवन करें।
सावधानीः यह रसायन 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2011, पृष्ठ संख्या 30, अंक 223.
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