14.10.10

खर्राटेः कुदरत का अलार्म

खर्राटेः कुदरत का अलार्म

नींद में खर्राटे आना कई बार सामान्य होता है, कई बार थकान के कारण खर्राटे आते हैं तथा कई बार यह लक्षण किसी गंभीर बीमारी के साथ जुड़ा हुआ होता है। 60 % मनुष्यों में यह लक्षण उच्च रक्तदाब, डायवटीज़, कोलेस्टेराल की अधिकता, हृदयरोग जैसी बीमारियों के कारण पाया गया। ऐसे व्यक्तियों को मक्खन, मलाई, पनीर, दही, केला, फ्रिज का पानी, मिठाई, तले व चिकनाई वाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। दिन में सोना, एअर कण्डिशन में रहना, सतत बैठे रहना छोड़ देना चाहिए। खर्राटे आना यह कुदरत का अलार्म है। कुदरत खर्राटे द्वारा मनुष्य को अपनी जीवनशैली ठीक करने की चेतावनी देती है। ऐसे व्यक्ति आहार में सुधार के नियमित आसन-प्राणायाम-कसरत करें। 20 ग्राम अदरक के रस (लगभग 4 चम्मच) में 5 ग्राम गुड़ मिला कर सुबह खाली पेट 21 दिन तक लें। आवश्यक हो तो 5 दिन के अंतर से यह प्रयोग पुनः दोहराया जा सकता है। इन दिनों में मिर्च, राई, मेथी, हींग जैसी गरम वस्तुओं का सेवन न करें।

जम्हाई रात्रि को आती हो तो ठीक है परंतु दिन में ज़्यादा जम्हाईयाँ आती हों तो निस्तेज तथा निरसता की खबर देता है। वह भविष्य में होने वाली नर्व्हस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र) संबंधित बीमारी का संकेत हो सकता है। ऐसे लोगों को अदरक व लहसुन का सेवन वैद्यकीय सलाह से करना चाहिए।

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