14.10.10

पुण्य व स्वास्थ्य प्रदाता आँवला

पुण्य स्वास्थ्य प्रदाता आँवला

पद्म पुराण के एक प्रसंग में भगवान शंकर कार्तिकेय जी से कहते हैं- बेटा!  आँवले का फल परम पवित्र है। यह भगवान श्री विष्णु के प्रसन्न करने वाला एवं शुभ माना गया है। आँवला खाने से आयु बढ़ती है। इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐशवर्य की प्राप्ति होती है। स्कन्द! जिस घर में आँवला सदा मौजूद रहता है, वहाँ दैत्य और राक्षस नहीं आते। जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। षडानन ! आँवले के रस से अपने बाल धोने चाहिए। आँवले के दर्शन, स्पर्श तथा नामोच्चारण से भगवान विष्णु संतुष्ट होकर अनुकूल हो जाते हैं। अतः अपने घर में आँवला अवश्य रखना चाहिए। जो भगवान विष्णु को आँवले का मुरब्बा एवं नैवेद्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं। आँवले का सेवन करने वाले मनुष्यों को उत्तम गति मिलती है। प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए। शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए।

आयुर्वेद के अनुसार आँवला रक्तप्रदर, बवासीर, नपुंसकता, हृदयरोग, मूत्ररोग, दाह, अजीर्ण, श्वास रोग, खाँसी, दस्त, पीलिया एवं क्षय जैसे रोगों में लाभदायी है। यह रस-रक्तादि सप्तधातुओं को पुष्ट करता है। इसके सेवन से आयु, स्मृति, कांति, बल, वीर्य एवं आँखों का तेज़ बढ़ता है, हृदय एवं मस्तिषक को शक्ति मिलती है, बालों की जड़ें मजबूत होकर बाल काले होते हैं। इससे रक्त शुद्ध होता है और रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने आँवले पर शोध के पश्चात स्वीकार किया है कि आँवले में पाया जाने वाला एंटीआक्सीडैंट एन्जाइम बुढ़ापे को रोकता है। परिपक्व, पुष्ट, ताज़े आँवलों का सेवन करना लाभप्रद है। इनके अभाव में आँवले का चूर्ण, मुरब्बा तथा च्यवनप्राश वर्ष भर उपयोग में लाये जा सकते हैं।

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